शब्द होते हैं हरे
होते हैं सोने से खरे
सुख देते हैं
दुख देते हैं
भर देते हैं आँख कभी
दया भी है
दर्द भी है
इनमे है मुस्कान छिपी
अक्षत यही
तलवार यही
इनमे है सम्मान सभी
रंग देते हैं
प्रेम रंग मे
जब अभिनव ये शब्द कभी
मिल जाते हैं
पा जाते हैं
सब अपनी अपनी लय तभी
चंद्र इन्ही मे
सूर्य इन्ही मे
इनमे तो सारी सृष्टि रची
शुरू जो है
अंत भी है
इनमे हैं भगवन् भरे
होते हैं शब्द हरे
शब्द होते हैं हरे
– अभिनव