मैं तवीषी, मेरा एक छोटा सा परिवार है
पापा, मम्मी, आरु और दादा दादी का प्यार है
आरु बहुत ही छोटा है
बड़ी शरारत करता है
डाँटती है जब मम्मी उसको
मेरे पीछे ही छुपता है
मेरी दादी बहुत प्यारी
पूड़ी पकवान खिलाती हैं
नींद जो आती है मुझको
कूलर चला सुलाती हैं
दादाजी से डर लगता है थोड़ा
जब वो मुझे बुलाते हैं
पर जान जाती हूँ मैं प्यार उनका
जब वो गुड़िया खिलोने लाते हैं
पापा की तो मैं बेटी हूँ
मैं उनपर जान छिड़कती हूँ
मस्ती जब आती है मुझको
उनपर जा लटकती हूँ
चाहती हूँ मैं मम्मी सा बनना
उन जैसे ही मेहनत करना
दिन रहे या रात रहे
हरदम हमारा ख़याल रखना
अकेले पेड़ कट जाते हैं
साथ रहे तो वन कहलाते हैं
हम भी अकेले थक जाते हैं
साथ में सुखी परिवार बनाते हैं