मेरी मम्मा कितनी प्यारी
जैसे नदी का मीठा पानी हो
मिले हम हैं अभी अभी
पर लगती पहचान पुरानी हो
जागती हो मेरे कारण
यूँ ही सारी रात को
ध्यान देती हो मुझसे जुड़ी
छोटी छोटी बात को
आप मेरी मम्मा
इसलिए मैं इतना इठलाती हूँ
निहारती हूँ मैं जो आपको इतना
मैं आप सा बनना चाहती हूँ
– अवनि